आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है,
पर फिर से तेरा ख्याल आया है
कागज फाड़ दिया,
कलाम रख दिया,
पर फिर भी जैसे तेरा नशा-सा छाया है
आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है.
इतनी धुप में सुट्टा पीने जाना पड़ा,
पुरानी यादों में फशकर एक घंटे तक धुप में रहा खड़ा.
दारु भी नहीं पी सकता कम्भाकत घर पे जो हूँ
एक फ्रूट बियर में ही नशा-सा छाया है
आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है.
उफ़ ये गर्मी...
और आजकल के छोटे बच्चे :
"भैया आपके घर में वाटर-पुरिफिएर नही है?"
अब क्या समझाऊँ इन्हें मैं
तूने तोह २ -२ रुपये के पाउच में भी पानी पिलवाया है
आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है.
वो कहते है न
"कही धुप, कहीं छाया है
प्यार कहाँ हर किसी को मिल पाया है"
इसे सच समझू या झूठ
यही सोच-सोचकर कसम से
तूने सारा प्यार का भूत उतरवाया है
आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है.
तू पास है या दूर है
या सिर्फ तेरे पास होने का ये एक झूठा सुरूर है
यही सोच ही रहा था की
फिर फ़ोन बजा,
और पूरे चार दिन बाद उसपे तेरा नाम लिखा हुआ आया है
हद्द है ये इश्क़......
तुझे ब्रेकअप-पत्चुप करने के लिए ये समर टाइम ही भाया है.
आज बहुत दिनों बाद लिखने का मन आया है.